ऊदोजी के तँवर - पाटन के राणा कंवल जी के पुत्र राव ऊदोजी के वंशज " ऊदोजी के तंवर " कहलाते हैं। राणा कंवल जी के बडी राणी से ऊदोजी का जन्म हुआ। ऐसा माना जाता है कि ऊदोजी की माता का देहांत हो जाने पर उनकी सौतेली माता ने अपने पुत्र को राजगद्दी पर बिठाने के लिए षडयंत्र करना प्रारंभ कर दिया था। उसने ऊदोजी को जहर देने का विफल प्रयास किया। जब ऊदोजी को इसका पता चला तो उन्होंने अपने सौतेले भाई को पाटन का राज्य देकर अन्यत्र चले गए। ओर ऊदोजी ने नीमकाथाना के आस-पास के कई गांवों पर अपना अधिकार कर लिया और वही से अपना राज्य करना प्रारंभ कर दिया।
उदोजी के तंवरों कि 2 मुख्य शाखाएं
- लाखावत तंवर
- सांगावत तंवर
ऊदोजी के तँवरो के ठिकाने
- गांवडी-पाटन के राणा कंवलजी के बड़े पुत्र राव उदोजी ने गांवड़ी की स्थापना संवत् 1484(1427ई.) में की थी।
- भागेगा
- भगोट
- बुचारा
- प्रथमपुरी
- मोही
- गणेसर
- मंडोली-गांवडी ठाकुर लाखाजी ने जाटों से मंडोली जीता और इन्दरपालजी को मांडोली दिया।
- मांवडा-(12 गांव की जागीर) गांवडी से निकलकर दो भाई श्यामदासजी और सुन्दरदासजी ने मावंडा कलां बसाया।
- नीमकाथाना
- महावा- गांवडी के ठाकुर भीमराज जी के पुत्र सुरजनसिंह जी ने बसाया।
- हीरावली
- बलराम की ढाणी
- राणासर
- कोटडा
- गोविन्दपुरा
- मांकडी
- भूदोली-गांवडी ठाकुर डूंगरसिंह के पुत्र महाराज उदयसिंहजी ने भूदोली गांव संवत् 1627(1570ई.) में बसाया।
- चीपलाटा-गांवडी ठाकुर भीवराजजी के पुत्र भगवानदास जी ने चीपलाटा बसाया।
- दांतिल-मावंडा से सुन्दरदासजी के पुत्र ने दांतिल बसाया।