केलोडजी के तंवर (किलोर जी के तंवर)-पाटन के राव कंवलजी के तीसरे पुत्र किलोड* जी हुए, जिनके वंशजो को किलोड जी के तंवर कहा गया। किलोर जी के पुत्रो के 22 गाँव थे जिसके कारण इन्हें बाईसी के तंवर भी कहा जाता है।
बनेठी-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र नागराज के वंशज "पृथु सिंह तंवर" ने वि.स. 1535 में बनेठी बसाया। पिथु सिंह तंवर ने यह गांव गुर्जरों से छीना था।
इनके वंशज दुरसाराम तंवर की छतरी वि.स. 1847 में बनेठी में बनवाई गयी। यही पर सालिम सिंह तंवर की छतरी भी वि.स. 1939 में बनवायी गयी।
बनेठी में मशहूर डाकू बख्तावर सिंह हुए जिनका स्मारक भी बना हुआ है। डाकू बख्तावर सिंह के सम्बन्ध में अनेक कवियों ने रचनाएँ की है कि वो गरीब विधवाओं ओर अनाथो के हमदर्द, सहायक ओर नाथ थे।
ये 22 गाँव इस प्रकार है।
1 कुजोता
2 महरपुर
3 जिणगोर
4 भालोजी(मुसलमान बन गए)
5 पाथरेडी
6 भैसलाना
7 पवाला राजपुताना
8 महरीन
9 बेरी
10 केशवाना राजपुताना
11 चेचिका
12 खडब
13 तिहाड
14 बनार
15 पंचाणी/पिचाणी
16 खेडा
1 कुजोता
2 महरपुर
3 जिणगोर
4 भालोजी(मुसलमान बन गए)
5 पाथरेडी
6 भैसलाना
7 पवाला राजपुताना
8 महरीन
9 बेरी
10 केशवाना राजपुताना
11 चेचिका
12 खडब
13 तिहाड
14 बनार
15 पंचाणी/पिचाणी
16 खेडा
17 सरूण्ड
18 चान्दवास
19 भोजवास
20 किरपुरा
21 फतहपुरा(अहीर बन गए)
22 जगदीशपुरा(अहीर बन गए)
23 नारहेडा
24 बनेठी
18 चान्दवास
19 भोजवास
20 किरपुरा
21 फतहपुरा(अहीर बन गए)
22 जगदीशपुरा(अहीर बन गए)
23 नारहेडा
24 बनेठी
नारहेडा-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र सोढ के प्रपोत्र "नाहर सिंह तंवर" ने नारहेडा बसाया।
नाहर सिंह तंवर के वंशज बिशन सिंह तंवर ने नारहेडा में वि. स. 1775 में गूगामेडी बनवाई तथा गोपाल की पत्नी उमदा कंवर ने वि.स. 1594 मे शिवालय ओर धर्मशाला बनवाई।
नाहर सिंह तंवर के चौथे पुत्र धन सिंह जोगी बन गए ओर वि.स.1608 में समाधी ली।
नाहर सिंह तंवर के वंशज बिशन सिंह तंवर ने नारहेडा में वि. स. 1775 में गूगामेडी बनवाई तथा गोपाल की पत्नी उमदा कंवर ने वि.स. 1594 मे शिवालय ओर धर्मशाला बनवाई।
नाहर सिंह तंवर के चौथे पुत्र धन सिंह जोगी बन गए ओर वि.स.1608 में समाधी ली।
बनेठी-राव कंवल जी के पुत्र राव किलोड जी के पुत्र प्रभाऊ के पुत्र उदयराम के पुत्र नागराज के वंशज "पृथु सिंह तंवर" ने वि.स. 1535 में बनेठी बसाया। पिथु सिंह तंवर ने यह गांव गुर्जरों से छीना था।
इनके वंशज दुरसाराम तंवर की छतरी वि.स. 1847 में बनेठी में बनवाई गयी। यही पर सालिम सिंह तंवर की छतरी भी वि.स. 1939 में बनवायी गयी।
बनेठी में मशहूर डाकू बख्तावर सिंह हुए जिनका स्मारक भी बना हुआ है। डाकू बख्तावर सिंह के सम्बन्ध में अनेक कवियों ने रचनाएँ की है कि वो गरीब विधवाओं ओर अनाथो के हमदर्द, सहायक ओर नाथ थे।
*कई इतिहासकारों ने पाटन राव पीपलराजी के पुत्र राव कमलजी के वंशजों को केलोड जी तंवर(बाईसी का तंवर) लिखा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें